गलवान के बाद पीएम मोदी का पहला चीन दौरा: SCO समिट में शामिल होंगे
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन की यात्रा पर रहेंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह दौरा इस लिहाज से बेहद अहम है कि 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प के बाद यह मोदी की पहली चीन यात्रा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले 2018 में चीन गए थे और बतौर प्रधानमंत्री यह उनका छठा चीन दौरा होगा, जो पिछले 70 वर्षों में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई सबसे अधिक चीन यात्राओं में शामिल है।
🇮🇳 मोदी की यात्रा से पहले जयशंकर ने तैयार की बुनियाद
इस दौरे की पृष्ठभूमि में पिछले महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा रही, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। जयशंकर की इस यात्रा में कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई जैसे:
LAC पर तनाव और सेनाओं की तैनाती
व्यापार प्रतिबंधों में ढील
जल संसाधन डेटा की पारदर्शिता
आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ साझा रणनीति
माना जा रहा है कि जयशंकर की इस मुलाकात ने प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे की राजनयिक रूपरेखा तैयार की थी।
🛫 चीन से पहले जापान में भारत-जापान शिखर सम्मेलन
चीन यात्रा से पहले पीएम मोदी 30 अगस्त को जापान जाएंगे, जहां वे भारत-जापान द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा क्षेत्रीय संतुलन और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
🤝 मोदी-जिनपिंग आख़िरी बार मिले थे रूस में
प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की पिछली मुलाकात अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान शहर में हुई थी, जब दोनों नेता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शरीक हुए थे। उस दौरान 50 मिनट की द्विपक्षीय बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा था:
“सीमा पर शांति और स्थिरता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता हमारे संबंधों की नींव बने रहनी चाहिए।”
🌍 वैश्विक दबाव के बीच चीन यात्रा
यह चीन यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत पर अमेरिका का भारी व्यापारिक दबाव है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश दिया है, जिसका कारण बताया गया – भारत द्वारा रूसी तेल और हथियारों की खरीद।
भारत वर्तमान में रूस से तेल खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है और प्रतिदिन 17.8 लाख बैरल कच्चा तेल रूस से आयात करता है। ऐसे में अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ और फार्मा प्रोडक्ट्स पर 250% टैक्स की धमकी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई खींचतान पैदा कर दी है।
इस पृष्ठभूमि में मोदी की चीन यात्रा को एक रणनीतिक कूटनीतिक चाल के रूप में भी देखा जा रहा है।
🇨🇳 शी जिनपिंग की भारत यात्रा: पिछली स्मृति
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आखिरी बार 2019 में भारत आए थे, जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ महाबलीपुरम (तमिलनाडु) में अनौपचारिक मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने सीमा विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने और राजनीतिक संवाद को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई थी।
बाद में जुड़े देश: भारत और पाकिस्तान (2017), ईरान (2023)
उद्देश्य:
क्षेत्रीय सुरक्षा
आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला
आर्थिक व राजनीतिक सहयोग
ड्रग तस्करी और साइबर अपराध पर रणनीति
एससीओ आज यूरेशिया के सबसे बड़े बहुपक्षीय मंचों में से एक है और भारत इसके ज़रिए मध्य एशिया और पूर्वी एशिया में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।
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प्रधानमंत्री मोदी की यह चीन यात्रा भारत-चीन संबंधों में नए संवाद का अवसर हो सकती है। गलवान जैसी घटनाओं के बाद तनाव की पृष्ठभूमि में यह मुलाकात सीमा विवादों, आर्थिक दबावों और वैश्विक कूटनीति के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। साथ ही, SCO मंच भारत को रूस और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ संवाद का सीधा अवसर भी देता है, खासकर तब जब अमेरिका से रिश्तों में व्यापारिक तल्खी आ चुकी है।
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