यह दिन केवल धन का नहीं, अच्छे स्वास्थ्य और संतुलित जीवन का संदेश देता है
धनतेरस, दीपावली के पाँच दिवसीय पर्व की शुरुआत का प्रतीक दिन है। इस दिन को “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है, क्योंकि यह कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। बहुत से लोग इस दिन सोना-चांदी, बर्तन या अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदते हैं, परंतु धनतेरस का वास्तविक अर्थ केवल भौतिक संपत्ति तक सीमित नहीं है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि “स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है।” भगवान धन्वंतरि की पूजा इसी भावना के साथ की जाती है कि जीवन में स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि बनी रहे।

भगवान धन्वंतरि कौन हैं?
धनतेरस का संबंध भगवान धन्वंतरि से है, जिन्हें “आयुर्वेद के जनक” के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने मानवता को रोगमुक्त जीवन देने के लिए आयुर्वेद का ज्ञान दिया। इसलिए इस दिन उनकी आराधना करने से व्यक्ति को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और मानसिक शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धनतेरस पर पूजा का महत्व
धनतेरस का अर्थ है — “धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति।” इस दिन पूजा करने से न केवल आर्थिक समृद्धि मिलती है, बल्कि शरीर, मन और आत्मा में संतुलन भी आता है। भगवान धन्वंतरि की आराधना से जीवन में सकारात्मकता आती है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय व्यक्ति के जीवन को न केवल समृद्ध बल्कि संतुलित और शांतिपूर्ण बना सकते हैं।

🌼 धनतेरस पर सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए उपाय
1️⃣ भगवान धन्वंतरि की विधिपूर्वक पूजा करें
धनतेरस की शाम को उत्तर दिशा की ओर मुख करके भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें तुलसी दल, पीला फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
मंत्र जाप करें —
“ॐ नमो भगवते धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोग निवारणाय नमः।”
यह मंत्र शरीर से रोगों को दूर करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
2️⃣ तांबे या चांदी के पात्र की खरीद
धनतेरस पर यदि संभव हो तो सोना या चांदी खरीदें, परंतु अगर यह संभव न हो तो तांबे का पात्र अवश्य खरीदें। यह वस्तु “स्वास्थ्य और शुद्धता” का प्रतीक है। मान्यता है कि तांबे का पात्र घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता बढ़ती है।
3️⃣ दीपदान का विशेष महत्व
इस दिन यमराज के नाम का दीपक जलाना शुभ माना गया है। इसे “यम दीपदान” कहा जाता है।
रात्रि में दक्षिण दिशा की ओर एक दीपक जलाकर रखें और प्रार्थना करें —
“मृत्यु भय से रक्षा करें, यमराज कृपा करें।”
यह दीपक न केवल जीवन की सुरक्षा का प्रतीक है बल्कि यह हमारे भीतर के भय और नकारात्मकता को भी समाप्त करता है।
4️⃣ तुलसी और हल्दी से आरोग्य की प्राप्ति
धनतेरस के दिन तुलसी में हल्दी अर्पित करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि घर में स्वास्थ्य और शांति बनी रहे।
तुलसी का पौधा घर में “जीवन शक्ति” का प्रतीक माना जाता है। इस दिन तुलसी का पूजन करने से रोगों का नाश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
5️⃣ गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें
धनतेरस का सच्चा अर्थ केवल “धन प्राप्ति” नहीं, बल्कि “धन का सही उपयोग” भी है। इस दिन अन्न, वस्त्र या औषधि का दान करें।
दान करने से धन में वृद्धि होती है और मन को संतोष मिलता है। जो व्यक्ति दान करता है, उसका जीवन न केवल भौतिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध होता है।
6️⃣ घर की स्वच्छता और लक्ष्मी स्वागत
धनतेरस पर घर की साफ-सफाई अवश्य करें। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और दोनों ओर दीपक जलाएं। यह माना जाता है कि जिस घर में स्वच्छता और प्रकाश होता है, वहां देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि दोनों की कृपा बनी रहती है।
घर में कपूर जलाएं, जिससे वातावरण पवित्र और ऊर्जावान बनता है।
7️⃣ मन की शांति के लिए ध्यान और जप
धनतेरस का दिन केवल बाहरी पूजा का नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और ध्यान का भी समय है।
रात्रि में ध्यान लगाएं और अपने भीतर के विचारों को शुद्ध करें।
भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना करें कि वे आपको न केवल धन दें, बल्कि स्वस्थ और शांत जीवन का वरदान भी दें।
8️⃣ आयुर्वेदिक नियमों का पालन करें
इस दिन से नए स्वास्थ्य संकल्प की शुरुआत करें — समय पर भोजन करें, हरी सब्जियों और जल का सेवन बढ़ाएं, तनाव कम करें, और योग अपनाएं।
धनतेरस का सच्चा संदेश है कि हम स्वास्थ्य को सर्वोच्च धन मानें और अपने शरीर को प्रकृति के अनुरूप रखें।

🌙 कल धनतेरस की पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त
- धनतेरस तिथि प्रारंभ: 17 अक्टूबर, रात्रि 11:19 बजे से
- धनतेरस तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर, रात्रि 9:14 बजे तक
- भगवान धन्वंतरि पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त:
🕕 सायंकाल 5:30 बजे से 7:30 बजे तक (प्रदोष काल)
इस समय भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। - खरीदारी का शुभ समय:
🕓 सुबह 8:45 बजे से रात 8:00 बजे तक
इस अवधि में स्वर्ण, रजत, वाहन, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं या नए निवेश करने से दीर्घकालिक लाभ की संभावना रहती है।
धनतेरस का यह पवित्र पर्व केवल धनार्जन का अवसर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सद्भाव और संतुलन की ओर लौटने का संदेश देता है। भगवान धन्वंतरि की कृपा से सभी के जीवन में आरोग्य, आनंद और समृद्धि का प्रकाश फैले — यही कामना है।
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