कोच्चि | केरल के कोच्चि तट से कुछ दूरी पर समंदर में फंसे लाइबेरिया के झंडे वाले कंटेनर जहाज एमएससी ईएलएसए-3 का संतुलन बिगड़ने के बाद अब वह पूरी तरह समंदर में डूब गया है। हालांकि, इससे पहले भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और भारतीय नौसेना ने एक संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में जहाज पर सवार सभी 24 चालक दल के सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया।
जहाज के डूबने के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती है— समुद्र में मौजूद तेल और खतरनाक रसायनों के रिसाव से पर्यावरण को बचाना। इसके लिए तटरक्षक बल और नौसेना ने युद्धस्तर पर प्रदूषण नियंत्रण अभियान शुरू कर दिया है।
कैसे हुआ हादसा?
शनिवार की रात एमएससी ईएलएसए-3 जहाज से एक इमरजेंसी डिस्ट्रेस सिग्नल भेजा गया, जिसमें समुद्री हालात खराब होने की सूचना थी। यह जहाज समुद्र में एक तरफ झुक गया था और डूबने की आशंका बनी हुई थी।
इसके तुरंत बाद तटरक्षक बल की टीमें सक्रिय हुईं और समुद्र में फंसे 21 क्रू मेंबर्स को रातों-रात सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। लेकिन तीन वरिष्ठ अधिकारी— कैप्टन, चीफ इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर— जहाज पर ही रुके रहे ताकि जहाज का मूल्यवान सामान और बचाव प्रबंधन की निगरानी की जा सके।
हालात बिगड़े, नौसेना की एंट्री
रविवार सुबह समुद्री हालात और खराब हो गए। जहाज का झुकाव लगातार बढ़ रहा था, जिससे पूरे जहाज के डूबने का खतरा बढ़ गया। ऐसे में नौसेना के युद्धपोत INS सुजाता को ऑपरेशन में शामिल किया गया और बचे तीनों अधिकारियों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया।
नौसेना ने बयान में कहा कि—
“अधिकारियों की बहादुरी सराहनीय है, लेकिन स्थिति अत्यधिक जोखिमभरी हो गई थी, इसीलिए उन्हें निकालना जरूरी था।”

अब सबसे बड़ी चुनौती: समुद्री प्रदूषण रोकना
जहाज में तेल और रसायन पदार्थों की बड़ी मात्रा मौजूद थी। इसके रिसाव से समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण को गंभीर खतरा हो सकता है। इसी को देखते हुए ICG और नौसेना की प्रदूषण नियंत्रण टीमें अब समुद्र में तैरते जहाज के मलबे और तेल को नियंत्रित करने के लिए तैनात की गई हैं।
समुद्री प्रदूषण नियंत्रण जहाज (Pollution Control Vessel) भी मौके पर रवाना कर दिए गए हैं। इसके अलावा ड्रोन और हेलीकॉप्टर से समुद्र में फैलते तेल के दायरे की निगरानी की जा रही है।

भारत की तत्परता की मिसाल
यह घटना भारत की समुद्री सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता और क्षमता का परिचायक है। न सिर्फ क्रू को सुरक्षित बचा लिया गया, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी को बचाने के लिए त्वरित कदम भी उठाए गए हैं।
ICG ने कहा कि—
“यह एक हाई रिस्क ऑपरेशन था, जिसमें वक्त की बेहद अहम भूमिका थी। हम हर संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार हैं।”
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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