July 5, 2025 2:49 AM

आपातकाल दिवस पर बोले मुख्यमंत्री मोहन यादव: ‘लोकतंत्र की रक्षा में संघ और विपक्ष का योगदान अविस्मरणीय’

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भोपाल।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए इसे लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला करार दिया। उन्होंने उन तमाम लोकतंत्र सेनानियों और संगठनों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने 1975 से 1977 के बीच आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष कर भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों की पुनर्स्थापना की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित अनेक देशभक्त संगठनों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अदम्य साहस दिखाया। उनके अनुसार, लोकतंत्र की पुनर्स्थापना में संघ परिवार और तत्कालीन विपक्षी नेताओं का योगदान ऐतिहासिक रहा है।


आपातकाल का संघर्ष आज़ादी की लड़ाई जैसा था

डॉ. मोहन यादव ने कहा, “आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष वैसा ही था जैसा देश की आज़ादी के लिए लड़ा गया था।” उन्होंने कहा कि देश की आवाज़ दबाने, संविधान को ताक पर रखने और प्रेस की स्वतंत्रता छीनने जैसी हरकतें आपातकाल में हुईं, जिसका जवाब पूरे देश ने एकजुट होकर दिया।

मुख्यमंत्री ने इस संग्राम में योगदान देने वाले प्रभावशाली नेताओं—अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह आदि की साहसिक भूमिका को भी याद किया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं की दूरदृष्टि और संघर्ष ने लोकतंत्र को पुनः बहाल करने की राह प्रशस्त की।


आज का भारत, उस संघर्ष का परिणाम

मोहन यादव ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों की कुर्बानी के कारण आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा और जीवंत गणराज्य बन चुका है। उन्होंने कहा, “भारत को आज एक सशक्त गणराज्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने में हमारी पार्टी और विचार परिवार का भी ऐतिहासिक योगदान है।”

मुख्यमंत्री ने आपातकाल को लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि जनता ने उस समय तानाशाही को अस्वीकार कर नया इतिहास रचा। उन्होंने आज की युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे लोकतंत्र की इन विरासतों को समझें और उन्हें अक्षुण्ण बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाएं।


लोकतंत्र सेनानियों को किया नमन

इस अवसर पर डॉ. मोहन यादव ने सभी लोकतंत्र सेनानियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन किया और उन्हें सशक्त लोकतंत्र की बधाई दी। उन्होंने कहा, “हम सबको उनके संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लेकर एक मजबूत, पारदर्शी और उत्तरदायी शासन व्यवस्था की दिशा में कार्य करना चाहिए।”



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