टैरिफ वॉर फिर तेज़, चीन ने कहा — अमेरिका स्पष्ट करे आंकड़े
वॉशिंगटन/बीजिंग। अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध एक बार फिर गरमाया है। ट्रंप प्रशासन ने चीन से आने वाले उत्पादों पर 245% तक का जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिका की ‘राष्ट्र सुरक्षा’ और ‘आर्थिक आत्मनिर्भरता’ से जुड़ी चिंताओं के मद्देनज़र उठाया गया है।
व्हाइट हाउस द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है, जिसमें उन्होंने ‘विदेशी खनिजों पर अत्यधिक निर्भरता’ को अमेरिका की रक्षा प्रणाली, आधारभूत संरचना और तकनीकी नवाचार के लिए ख़तरा बताया था।
क्या है मामला?
अमेरिका ने हाल ही में सभी देशों पर 10% टैरिफ लगाने का व्यापक आदेश जारी किया है। हालांकि, जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बहुत अधिक है, उनके लिए टैरिफ दरें काफी अधिक रखी गई हैं। इसी के तहत चीन पर 245% तक टैरिफ लागू किया गया है।
ट्रंप प्रशासन के अनुसार, यह फैसला चीन द्वारा अमेरिका को कुछ अहम तकनीकी सामग्रियों—जैसे गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी—के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के जवाब में लिया गया है। इन सामग्रियों का उपयोग सैन्य और उच्च तकनीकी उत्पादों में होता है।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
चीन ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने अमेरिका से “विशिष्ट टैरिफ आंकड़े” सार्वजनिक करने की मांग की है। बीजिंग में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा:
“अमेरिका को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन उत्पादों पर 245% टैरिफ लगाया गया है और यह दर कैसे तय की गई।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि टैरिफ युद्ध की शुरुआत अमेरिका ने की थी, और चीन ने केवल अपने वैध अधिकारों की रक्षा में जवाबी कार्रवाई की है। लिन ने कहा कि बीजिंग ने बार-बार अपनी स्थिति स्पष्ट की है और उसके कदम पूरी तरह उचित और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप हैं।
अन्य देशों के साथ नरमी
व्हाइट हाउस ने यह भी बताया कि 75 से अधिक देश पहले ही अमेरिका से नए व्यापार समझौतों पर चर्चा कर रहे हैं। इसलिए इन देशों पर फिलहाल कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया गया है। चीन को इस अपवाद सूची में शामिल नहीं किया गया, जिसे अमेरिका ने साफ तौर पर ‘जवाबी कार्रवाई करने वाला देश’ बताया है।
निष्कर्ष: व्यापारिक रिश्तों में फिर तल्ख़ी
यह स्पष्ट है कि अमेरिका-चीन संबंधों में आर्थिक तनाव अब केवल शब्दों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि व्यावसायिक नीतियों और कर संरचनाओं के स्तर तक उतर आया है। दोनों पक्षों की कठोर बयानबाजी और सख्त नीतियों ने व्यापारिक जगत में असमंजस और चिंता को और गहरा कर दिया है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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