श्रीकाकुलम के वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़, 9 श्रद्धालुओं की मौत; प्रशासन की लापरवाही से मचा हाहाकार
श्रीकाकुलम, 1 नवंबर। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले में शुक्रवार को एकादशी के अवसर पर श्रद्धा का सैलाब मातम में बदल गया। जिले के प्रसिद्ध काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भगदड़ मचने से 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हादसा इतना भीषण था कि मंदिर परिसर में अफरा-तफरी मच गई और कई श्रद्धालु एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, वहीं घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
भीड़ के दबाव से टूटी रेलिंग, मच गई भगदड़
पुलिस प्रशासन के अनुसार, शुक्रवार को एकादशी होने के कारण सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी थी। करीब 25 हजार से अधिक भक्त दर्शन के लिए कतारों में खड़े थे। इसी दौरान मुख्य द्वार के पास लगी रेलिंग अचानक टूट गई। इससे सैकड़ों लोग असंतुलित होकर नीचे गिर गए और भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे पर चढ़ते चले गए, जिससे दम घुटने और कुचलने से कई लोगों की मौत हो गई।
घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
राहत कार्यों में जुटा प्रशासन
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। स्थानीय विधायक गौतु शीर्षा ने घटनास्थल का दौरा किया और राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने बताया कि आसपास के जिलों से भी एंबुलेंस और चिकित्सा दल बुलाए गए हैं ताकि घायल श्रद्धालुओं को शीघ्र उपचार मिल सके।
पुलिस ने मंदिर परिसर को खाली कराया और क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं। भगदड़ के बाद आसपास के इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है, जिसे नियंत्रण में लाने की कोशिशें जारी हैं।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय श्रद्धालुओं और प्रत्यक्षदर्शियों ने मंदिर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि एकादशी जैसे विशेष अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों के आने की संभावना पहले से थी, इसके बावजूद प्रशासन और मंदिर कर्मचारियों ने कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं की।
मंदिर परिसर में न तो भीड़ नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त बैरिकेडिंग थी, न ही किसी प्रकार का आपातकालीन निकास मार्ग। वहीं शौचालय, पानी और प्राथमिक चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पहले से भीड़ प्रबंधन की तैयारी की जाती, तो यह हादसा टल सकता था।
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‘छोटा तिरुपति’ के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर
काशी बुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को उत्तर आंध्र का छोटा तिरुपति (चिन्ना तिरुपति) कहा जाता है। यह मंदिर दस वर्ष पहले हरि मुकुंद पांडा परिवार द्वारा तिरुमला में दर्शन न कर पाने के बाद अपनी निजी 12 एकड़ भूमि पर बनाया गया था। लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र बन गया है।
जैसे-जैसे मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती गई, वैसे-वैसे यहां भक्तों की संख्या भी हजारों में पहुंच गई। लेकिन इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण की ठोस योजना नहीं बनाई थी, जिसके चलते यह दर्दनाक हादसा हुआ।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक, दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में हुई भगदड़ की यह घटना अत्यंत पीड़ादायक है। मैं मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।”
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि घायलों का उपचार सर्वोच्च प्राथमिकता पर किया जाए और मृतकों के परिजनों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को घटनास्थल पर रहकर राहत कार्यों की निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य के मंत्री अनम राम नारायण रेड्डी ने भी घटना की जानकारी लेते हुए कहा कि पूरी घटना की गहन जांच की जाएगी और यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई गई, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
श्रद्धालुओं में शोक और आक्रोश
घटना के बाद श्रीकाकुलम जिले में शोक का माहौल है। मृतकों के परिवारों में मातम पसरा हुआ है। मंदिर के बाहर लोगों का गुस्सा प्रशासन की उदासीनता पर फूट पड़ा। श्रद्धालुओं का कहना है कि त्योहारों और विशेष अवसरों पर प्रशासन को पहले से योजना बनानी चाहिए, ताकि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।
यह हादसा फिर एक बार यह सवाल खड़ा करता है कि धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए क्या हमारी तैयारियां पर्याप्त हैं? हर वर्ष देश के किसी न किसी भाग में इस तरह की घटनाएं होती हैं, परंतु उनसे सबक शायद ही कभी लिया जाता है।
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