जनजातीय गौरव दिवस पर प्रेरणा स्थल में राष्ट्रीय नेतृत्व की उपस्थिति, विरासत और संघर्ष की याद
नई दिल्ली में शनिवार सुबह संसद परिसर का वातावरण भावुक और श्रद्धा से भरा हुआ था, जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा सभापति सीपी राधाकृष्णन, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कई केंद्रीय नेताओं ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। अवसर था जनजातीय गौरव दिवस और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती का, जिसे देश 2021 से प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को मनाता आ रहा है।
प्रेरणा स्थल पर हुए इस कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, कई सांसद, पूर्व सांसद और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। समारोह में बिरसा मुंडा की अद्वितीय भूमिका—स्वतंत्रता संग्राम के बेमिसाल संकल्प, आदिवासी अस्मिता के संरक्षण और शोषण के विरुद्ध उनके उलगुलान—की याद में सभी ने उन्हें नमन किया।
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राष्ट्रपति मुर्मु का संदेश—झारखंड की समृद्ध धरोहर को सलाम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने एक्स पर संदेश साझा करते हुए झारखंड की स्थापना दिवस की बधाई दी और बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा:
“भगवान बिरसा मुंडा की धरती के लोग परिश्रमी, प्रतिभाशाली और देश की शान बढ़ाने वाले हैं। यह राज्य प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर है और विकास में निर्णायक भूमिका निभाता है। जनजातीय समुदाय की लोकपरंपराएं और कलाएं विश्वभर में सम्मानित हैं। मेरी कामना है कि झारखंड निरंतर प्रगति करे और इसके सभी नागरिकों का भविष्य उज्ज्वल बने।”
राष्ट्रपति का यह संदेश न सिर्फ झारखंड के सांस्कृतिक गौरव को रेखांकित करता है, बल्कि बिरसा मुंडा के आदर्शों के प्रति राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक भी है।
उपराष्ट्रपति का श्रद्धांजलि संदेश—‘धरती आबा’ की विरासत सदैव अमर
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने एक्स पर अपनी श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:
“बिरसा मुंडा भले ही 25 वर्षों तक जीवित रहे, लेकिन उन्होंने ऐसी क्रांतिकारी चेतना जगाई जो आने वाले हजारों वर्षों तक जीवित रहेगी। आदमी आते हैं और जाते हैं, पर ‘धरती आबा’ और आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत सदैव जीवित रहेगी।”
इस संदेश में उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि बिरसा मुंडा का संघर्ष केवल अपने समय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह स्वतंत्रता, आत्मगौरव और सांस्कृतिक सम्मान का चिरस्थायी प्रतीक है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला—“जल, जंगल और जमीन के लिए उनका संघर्ष आज भी प्रेरणा”
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक्स पर कहा:
“आदिवासी अस्मिता और स्वाभिमान के अमर प्रतीक धरती आबा बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर कोटि-कोटि श्रद्धांजलि। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने जल, जंगल, जमीन के अधिकारों के लिए जो संघर्ष किया, वह विदेशी शासन के विरुद्ध एक क्रांति बन गया।”
उन्होंने आगे कहा कि:
“बिरसा मुंडा का जीवन सामाजिक न्याय, आत्मगौरव और राष्ट्रहित के लिए मिसाल है। उनका संघर्ष, त्याग और नेतृत्व आज भी युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जगाता है।”
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि बिरसा मुंडा के उलगुलान ने भारत के जनजातीय समाज में आत्मसम्मान और प्रतिरोध की नई चेतना पैदा की, जिसकी गूंज आज भी देशभर में महसूस की जाती है।
जनजातीय गौरव दिवस—स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय वीरों को याद करने का दिन
वर्ष 2021 से केंद्र सरकार हर साल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रही है। उद्देश्य है:
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को सम्मान देना
जनजातीय समुदायों की समृद्ध संस्कृति और विरासत का उत्सव
उनके योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना
भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में जनजातीय समुदायों ने कई आंदोलनों और विद्रोहों का नेतृत्व किया—इनमें उलगुलान (बिरसा आंदोलन) सबसे प्रमुख माना जाता है।
कार्यक्रम का संदेश—विरासत को समझना, सम्मान देना और आगे बढ़ाना
संसद परिसर में आज का कार्यक्रम केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि यह संदेश था कि बिरसा मुंडा की विरासत भारतीय लोकतंत्र, सांस्कृतिक विविधता और न्यायशील समाज की आधारशिला है। उनके बलिदानों को याद करना हमें यह भी सिखाता है कि देश की समृद्धि तभी संभव है जब हर समुदाय अपनी पहचान, अधिकार और परंपराओं के साथ सम्मानपूर्वक आगे बढ़े।
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