उपशीर्षक: जांच में खुलासा—लाल रंग की इकोस्पोर्ट गाड़ी से ढोया गया विस्फोटक, कई राज्यों में छापेमारी तेज
फरीदाबाद। दिल्ली के लाल किला क्षेत्र के पास हुए कार धमाके की जांच में एक के बाद एक नए खुलासे सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसियों ने अब पुष्टि कर दी है कि लाल रंग की इकोस्पोर्ट कार (DL10CK-0458), जो आतंकी डॉ. उमर उन नबी के नाम से दर्ज है, का इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री ढोने के लिए किया गया था। इस गाड़ी की फॉरेंसिक जांच में इसके पुख्ता सबूत मिले हैं। कार पिछले लगभग अठारह घंटे से फरीदाबाद के खंदावली गांव में खड़ी मिली, जहां एनआईए और एनएसजी की संयुक्त टीम बुधवार शाम से लगातार इसकी जांच कर रही है। जांच के दौरान पुलिस ने फहीम नामक युवक को गिरफ्तार किया है, जिसने यह कार यहां खड़ी की थी। फहीम अल फलाह विश्वविद्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर है और आतंकी डॉ. उमर का सहयोगी बताया जा रहा है। उसकी बहन खंदावली गांव में रहती है, जिसके घर के बाहर वह मंगलवार रात यह कार छोड़कर चला गया था। कार मिलने के बाद आसपास के सभी घरों को खाली कराया गया और करीब दो सौ मीटर का पूरा इलाका सील कर दिया गया, ताकि किसी भी संभावित खतरे से निपटा जा सके।
तीसरी ब्रेज़ा कार भी मिली, अब चौथी डिजायर कार की तलाश
जांच टीमों को एक और बड़ी सफलता तब मिली जब फरीदाबाद में अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर से तीसरी संदिग्ध ब्रेज़ा कार बरामद की गई। यह कार एक महिला संदिग्ध, डॉ. शाहीन, के नाम पर दर्ज बताई जा रही है। हरियाणा एसटीएफ और एनआईए की टीम ने इस गाड़ी को कब्जे में लेकर इसकी गहन तलाशी शुरू कर दी है। अब पुलिस को चौथी गाड़ी—स्विफ्ट डिजायर—की तलाश है, जिसके इस नेटवर्क से जुड़े होने की आशंका है। माना जा रहा है कि साजिश में शामिल लोग धमाके से पहले और बाद में छुपने, भागने तथा सामान ढोने के लिए अलग—अलग गाड़ियों का इस्तेमाल करते रहे।
खाद डीलरों पर छापेमारी: विस्फोटक सामग्री खरीदने पर शक
जांच दायरा अब सिर्फ वाहन बरामदगी तक सीमित नहीं है। विस्फोटक सामग्री उपलब्ध होने की आशंका को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां गुरुवार सुबह से गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह जिले के खाद डीलरों की दुकानों पर छापेमारी कर रही हैं। नूंह से एक खाद व्यापारी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जांच टीमों को शक है कि धमाके में इस्तेमाल किए गए रासायनिक पदार्थ इसी चैनल से खरीदे गए होंगे।
अल फलाह यूनिवर्सिटी से दस्तावेज बरामद: मिले कोड वर्ड और ‘ऑपरेशन’ शब्द
इस केस में अल फलाह विश्वविद्यालय अब जांच का केंद्र बनकर उभर रहा है। यहां से सुरक्षा एजेंसियों ने डॉ. उमर और उसके सहयोगी मुजम्मिल से जुड़े कई दस्तावेज और डायरी बरामद की हैं। इन दस्तावेजों में ‘ऑपरेशन’ जैसे शब्द बार–बार दिख रहे हैं, जिससे अनुमान है कि इस पूरे नेटवर्क ने किसी बड़े मिशन की योजना बनाई थी और ब्लास्ट उसी साजिश का हिस्सा था। जांच टीमें यह भी समझने की कोशिश कर रही हैं कि विश्वविद्यालय परिसर का इस्तेमाल योजना बनाने, विस्फोटक सामग्री छुपाने, गाड़ियों की अदला–बदली करने जैसे किस–किस तरीके से किया गया।
जांच का विस्तार, आतंकी मॉड्यूल का दायरा बड़ा
इन लगातार बरामद हो रही गाड़ियों और दस्तावेजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धमाका किसी एक या दो लोगों का काम नहीं था, बल्कि एक संगठित मॉड्यूल कई स्तरों पर सक्रिय था। गैंग में पुरुष और महिला दोनों सदस्य शामिल थे, और अलग–अलग भूमिकाओं में काम कर रहे थे। गाड़ियों के व्यापक इस्तेमाल से यह समझ आता है कि मॉड्यूल के पास तकनीकी, लॉजिस्टिक और वित्तीय रूप से पर्याप्त क्षमता थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राज्य पुलिस की टीमें अब इस नेटवर्क के सभी छोरों को जोड़ने में जुट गई हैं। लक्ष्य यह जानना है कि विस्फोटक सामग्री कब, कहाँ और किसके निर्देश पर तैयार की गई तथा दिल्ली तक कैसे पहुँचाई गई। जांच की गति तेज होने के साथ ही राजधानी और एनसीआर क्षेत्र में सुरक्षा भी और कड़ी कर दी गई है। हर संदिग्ध वाहन पर नज़र रखी जा रही है और हाइवे, विश्वविद्यालय परिसरों तथा किराए के मकानों पर विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है।
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