एनडीएको बड़ी बढ़त, जदयू बनी सबसे बड़ी पार्टी — महागठबंधन में तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों सीटों पर पीछे

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर लगभग साफ कर दी है। 243 सीटों के प्राप्त रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) दबदबे के साथ आगे बढ़ता दिख रहा है, जबकि महागठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक के आंकड़ों में NDA जहां 192 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, वहीं महागठबंधन मात्र 48 सीटों पर सिमटा दिखाई दे रहा है। इस बार चुनाव के नतीजे न केवल प्रदेश की सत्ता का रुख तय कर रहे हैं, बल्कि कई बड़े नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर भी असर डालते नजर आ रहे हैं।
 

एनडीए का दबदबा, महागठबंधन में गिरावट — जदयूको मिला बड़ा राजनीतिक लाभ

रुझानों के अनुसार, NDA की तरफ से जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस चुनाव में चौंकाने वाला प्रदर्शन किया है। पिछली बार मात्र 43 सीटों पर सिमटी JDU इस बार लगभग दोगुने से भी अधिक उछाल के साथ 84 सीटों तक पहुंचती हुई दिखाई दे रही है। भाजपा भी मजबूत स्थिति में है और गठबंधन सरकार के स्थायी स्वरूप की तस्वीर स्पष्ट कर रही है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार प्रदेश की सत्ता में एक बार फिर वापसी कर सकती है। वहीं महागठबंधन कई प्रमुख क्षेत्रों में पिछड़ता जा रहा है। विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अपनी प्रमुख सीटों पर उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पा रही है, जिसने विपक्ष की स्थिति को और कमजोर कर दिया है। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी रुझानों में किसी सीट पर बढ़त नहीं बना पाई है।

बड़े चेहरे जूझते हुए दिखाई दिए — तेजस्वी और तेजप्रताप की सीटों से निराशाजनक संकेत

इस चुनाव में सबसे अधिक चर्चित सीटों में से एक राघोपुर विधानसभा सीट पर महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव पीछे चल रहे हैं। रुझानों के अनुसार वे NDA उम्मीदवार सतीश यादव से पिछड़ते हुए नजर आए। यह सीट तेजस्वी की परंपरागत सीट मानी जाती है और यहां पीछे रहना महागठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी महुआ विधानसभा क्षेत्र से पिछड़ रहे हैं। जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे तेजप्रताप यहां से चौथे नंबर पर पहुंच गए हैं, जो उनके राजनीतिक करियर के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति बनाता है। इस सीट से लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के उम्मीदवार संजय सिंह बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि राष्ट्रीय जनता दल के मुकेश कुमार रोशन दूसरे और AIMIM के अमित कुमार तीसरे स्थान पर हैं।
 

अभिनेताओं और दिग्गज उम्मीदवारों को भी झटका — खेसारी लाल यादव, ओसामा शहाबुद्दीन पीछे

चुनाव के दौरान चर्चा में रहे कई उम्मीदवार उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन करते नजर नहीं आए। रघुनाथपुर सीट से चुनाव लड़ रहे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा पीछे चल रहे हैं। इसी प्रकार भोजपुरी फिल्म अभिनेता और RJD प्रत्याशी खेसारी लाल यादव भी छपरा से पिछड़ते दिखाई दे रहे हैं। यह रुझान संकेत देते हैं कि इस बार मतदाताओं ने केवल चेहरों के आधार पर नहीं, बल्कि क्षेत्रीय मुद्दों, मतदाताओं की मौजूदा प्राथमिकताओं और गठबंधन की संरचना के आधार पर मतदान किया है।


तारापुर, सीवान और अन्य सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों का पलड़ा भारी

तारापुर विधानसभा से भाजपा के सम्राट चौधरी मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं। राउंड-02 की गिनती में उन्होंने राजद उम्मीदवार अरुण शाह पर 2690 मतों की बढ़त बना ली है। सीवान से भाजपा के मंगल पांडेय और अलीनगर से भाजपा प्रत्याशी मैथिली ठाकुर भी लगातार आगे चल रही हैं। वैशाली में जदयू उम्मीदवार सिद्धार्थ पटेल को बढ़त मिली हुई है, जिससे NDA का चुनावी तंत्र और अधिक मजबूत होता नजर आ रहा है। कई सीटों पर NDA उम्मीदवारों की मजबूत उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शासन की वापसी की राह अब लगभग तय है।


 दोहरे चरण में रिकॉर्ड तोड़ मतदान—राजनीतिक परिवर्तन का आधार?

बिहार में इस बार दो चरणों में मतदान कराया गया और कुल वोटिंग प्रतिशत 67.10% दर्ज किया गया, जो राज्य का नया रिकॉर्ड है। यह 2020 विधानसभा चुनाव की तुलना में लगभग 10% अधिक है। उच्च मतदान को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान था कि यह विपक्ष के पक्ष में जा सकता है, लेकिन वर्तमान रुझान बताते हैं कि मतदाता बदलाव के बजाय स्थिरता की ओर झुकते नजर आए। चुनाव आयोग के अनुसार, शांतिपूर्ण मतदान और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़े हुए मतदान ने चुनाव के परिणामों में नई दिशा दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतिम नतीजों में यह रुझान किस हद तक कायम रहता है।