UNGA बैठक के इतर जयशंकर-रुबियो की मुलाकात, भारत-अमेरिका संबंधों में विश्वास बहाली की पहल

नई दिल्ली/न्यूयॉर्क, 22 सितंबर। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं उच्च स्तरीय बैठक के अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो के बीच सोमवार रात न्यूयॉर्क स्थित लोटे पैलेस होटल में द्विपक्षीय वार्ता हुई। हाल के महीनों में अमेरिका की टैरिफ नीतियों और एच-1बी वीजा शुल्क में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण भारत-अमेरिका संबंधों में आई तल्खी को देखते हुए इस मुलाकात को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

व्यापारिक तनाव और टैरिफ विवाद पृष्ठभूमि

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है, जिससे भारत पर कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया है। यह कदम मुख्य रूप से भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने की वजह से उठाया गया। इस फैसले ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया। इसके अलावा, एच-1बी वीजा शुल्क को 1 लाख डॉलर तक बढ़ाने के अमेरिकी निर्णय ने भारतीय आईटी उद्योग और पेशेवरों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

इन परिस्थितियों में जयशंकर और रुबियो की मुलाकात को द्विपक्षीय मतभेद कम करने और व्यापारिक विश्वास बहाल करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

जुलाई के बाद पहली सीधी वार्ता

जयशंकर और रुबियो की यह बैठक जुलाई में वाशिंगटन डीसी में हुई पिछली मुलाकात के बाद पहली आमने-सामने की वार्ता थी। उस समय क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया था।

इस बार, न्यूयॉर्क में हुई मुलाकात में दोनों नेताओं ने व्यापारिक मुद्दों के साथ-साथ सुरक्षा, वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य और हिंद-प्रशांत रणनीति जैसे अहम विषयों पर भी चर्चा की।

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आधिकारिक बयान का इंतजार

हालांकि बैठक के बाद दोनों पक्षों की ओर से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि चर्चा का केंद्र बिंदु टैरिफ विवाद और वीजा नीतियों का प्रभाव रहा। भारत का जोर इस बात पर है कि अमेरिका व्यापारिक तनाव को कम करे और भारतीय पेशेवरों के लिए अवसरों को संकुचित न किया जाए।

संयुक्त राष्ट्र मंच पर भारत की आवाज़

विदेश मंत्री जयशंकर रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे और वे यहां कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में भाग ले रहे हैं। 27 सितंबर को वे संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से भारत की ओर से भाषण देंगे, जिसमें वैश्विक शांति, विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भारत की भूमिका को प्रस्तुत करेंगे।

आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि जयशंकर और रुबियो की यह मुलाकात दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और आपसी विश्वास बहाल करने की दिशा में सकारात्मक संकेत है। भारत और अमेरिका, दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग न केवल व्यापार के लिहाज से, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अनिवार्य है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता, वैश्विक सप्लाई चेन की सुरक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे विषय दोनों देशों के साझा हितों से जुड़े हैं।

जयशंकर और रुबियो की वार्ता को भविष्य के लिए एक आधारभूत कदम के रूप में देखा जा रहा है। अब नजर इस बात पर है कि आने वाले महीनों में अमेरिका अपनी नीतियों में किस हद तक लचीलापन दिखाता है और भारत किस प्रकार रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाता है।