भोपाल। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बुधवार को भोपाल में एक विशाल जनसभा आयोजित की गई। इस प्रदर्शन में हिंदू समाज के प्रमुख नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया, जिनमें सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय प्रमुख थे। सभा का आयोजन भारत माता चौराहे पर किया गया, जहां उपाध्याय ने अपने संबोधन में देश की सुरक्षा और धर्मांतरण, घुसपैठ जैसे गंभीर मुद्दों पर बात की।
अश्विनी उपाध्याय का आह्वान
अश्विनी उपाध्याय ने इस मौके पर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हमें धर्मांतरण, घुसपैठ, जनसंख्यकीय परिवर्तन, और नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी।” उन्होंने नफरत फैलाने वाले धर्मग्रंथों की समीक्षा करने की भी मांग की, ताकि समाज में किसी भी प्रकार की नफरत का प्रचार न हो सके।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की बढ़ती घटनाएं
उपाध्याय ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर कुछ राजनीतिक नेताओं की चुप्पी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश के कई नेता इस मुद्दे पर खामोश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई गई तो यह आग पश्चिम बंगाल तक फैल सकती है।

धर्मांतरण और घुसपैठ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता
अश्विनी उपाध्याय ने भारत में बढ़ते घुसपैठ और धर्मांतरण के मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “भारत में 6 करोड़ घुसपैठिये हैं, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन चुके हैं।” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाए गए हैं और प्रशासन से आग्रह किया कि जहां भी धर्मांतरण होता है, वहां सख्त कार्रवाई की जाए।
पाँच जिहादों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील
उपाध्याय ने भारत में चल रहे पाँच जिहादों (धर्मांतरण, घुसपैठ, लव जिहाद, लैंड जिहाद, ड्रग जिहाद) के खिलाफ आवाज उठाने की भी अपील की और सरकार से इन मुद्दों पर उचित कदम उठाने की मांग की।
सकल हिंदू समाज की मांग
सकल हिंदू समाज ने बांग्लादेश सरकार से वहां हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने की मांग की और साथ ही भारत सरकार से आह्वान किया कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाए।
सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाने का आह्वान
उपाध्याय ने सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमें फेसबुक पर अपने नाम के 5000 दोस्त बनाकर नफरत की आग को बुझाने के लिए हर व्यक्ति को जागरूक करना होगा।”
इस प्रदर्शन ने भारतीय समाज को एकजुट होकर ऐसे मुद्दों पर गंभीर कदम उठाने के लिए प्रेरित किया, जो न केवल भारत, बल्कि बांग्लादेश और अन्य देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।