केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को एक कार्यक्रम में भारतीय समाज के मूल मूल्यों की रक्षा की जोरदार वकालत की। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए आधुनिकीकरण जरूरी है, लेकिन पश्चिमीकरण के नाम पर भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का क्षरण किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गडकरी ने यह बात मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराएं हजारों वर्षों पुरानी हैं, जिनमें आज भी सामर्थ्य और सामूहिक चेतना की प्रेरणा छिपी है। पश्चिमी जीवनशैली की नकल करने से हमारे संस्कार, पारिवारिक मूल्य और जीवन दर्शन कमजोर हो रहे हैं।
शिवाजी और अहिल्याबाई जैसे महान व्यक्तित्व आज भी प्रासंगिक
गडकरी ने अपने संबोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज और अहिल्याबाई होल्कर का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि इन महापुरुषों की शिक्षाएं और जीवन मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे।
उन्होंने कहा—
“समय बदला है, तकनीक और दुनिया बदली है, लेकिन मूल्य प्रणाली नहीं बदली। जो समाज अपनी जड़ों को भूल जाता है, वह अपने भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता।”
इंग्लैंड यात्रा का ज़िक्र, लिव-इन रिलेशन पर चिंता
अपने अनुभव साझा करते हुए गडकरी ने अपनी इंग्लैंड यात्रा का एक किस्सा भी बताया। उन्होंने कहा कि जब वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से मिले तो उन्होंने उनसे पूछा कि भारत की सबसे बड़ी सामाजिक चुनौतियां क्या हैं।
गडकरी ने जवाब में कहा—
“गरीबी, कुपोषण, बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, अंधविश्वास और जनसंख्या वृद्धि जैसी समस्याएं भारत की प्रमुख चुनौतियां हैं।”
इसके बाद जब उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री से यही सवाल पूछा कि ब्रिटेन की सबसे बड़ी सामाजिक चुनौती क्या है, तो उन्होंने जवाब दिया—
“हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि युवा अब शादी में रुचि नहीं ले रहे हैं। वे पारंपरिक विवाह के बजाय लिव-इन रिलेशनशिप को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
गडकरी ने इस उदाहरण के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की कि समाज का संतुलन केवल तकनीकी प्रगति से नहीं, बल्कि मजबूत पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों से बना रहता है।
पश्चिमीकरण बनाम भारतीयता: गडकरी का स्पष्ट मत
नितिन गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि वे आधुनिक तकनीक, विज्ञान और विकास के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा—
“मैं आधुनिकता के पक्ष में हूं, लेकिन अंधानुकरण के खिलाफ हूं। हमें भारतीयता के साथ आधुनिकता को संतुलित करना होगा।”
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय समाज के विभिन्न तबकों में तेजी से बदलती जीवनशैली और पारिवारिक संरचना को लेकर बहस तेज हो रही है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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