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March 24, 2025 6:22 AM

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई

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नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों (EC) की नियुक्ति से जुड़े नए कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी है। यह याचिकाएं चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाने के फैसले को लेकर दायर की गई थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने की थी प्राथमिकता से सुनवाई की घोषणा

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह इन याचिकाओं पर 19 फरवरी को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करेगा। हालांकि, अब इस पर सुनवाई स्थगित कर दी गई है।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति

सुनवाई के दौरान, गैर सरकारी संगठन (NGO) की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ के समक्ष दलील दी कि
“2023 में संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि CEC और EC की नियुक्ति एक पैनल द्वारा की जाएगी, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल होंगे। बावजूद इसके, सरकार ने CJI को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।”

उन्होंने यह भी कहा कि मामले को प्राथमिकता से सुना जाना चाहिए, क्योंकि सरकार संविधान पीठ के आदेश की अनदेखी कर चुकी है और नए कानून के तहत पहले ही तीन चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर दी गई है।

याचिका में क्या मांग की गई?

याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि सरकार द्वारा नए कानून के तहत की गई तीन नियुक्तियां असंवैधानिक हैं और इन्हें चुनौती दी गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जल्द सुनवाई की अपील की।

सरकार की क्या है दलील?

सरकार ने अपनी ओर से संविधान पीठ के दृष्टिकोण की अनदेखी के आरोपों को खारिज किया है। सरकार का तर्क है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया संविधान के अनुरूप है और इसमें कोई असंवैधानिकता नहीं है।

क्या है मामला?

  • 2023 में संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि CEC और EC की नियुक्ति के लिए पैनल में CJI भी शामिल होंगे।
  • सरकार ने नए कानून के तहत CJI को चयन पैनल से हटा दिया।
  • इस फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की गईं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी, जिससे विवाद और बढ़ सकता है।

क्या होगा आगे?

अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई कब निर्धारित करता है और क्या सरकार की ओर से नियुक्त चुनाव आयुक्तों पर कोई असर पड़ता है। यह मुद्दा भारतीय लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है, जिससे देश की सियासत में हलचल मची हुई है।

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